होली के एक दिन पहले लोग रात को होलिका जलाते हैं जिसमें वैर और उत्पीड़न की प्रतीक होलिका (जलाने की लकड़ी) जलती है. उसके अगले दिन दुलेंडी मनाई जाती है. दुलेंडी को सभी एक-दूसरे पर गुलाल बरसाते हैं तथा पिचकारियों से गीले रंग लगाते हैं. पारंपरिक रूप से केवल प्राकृतिक व जड़ी-बूटियों से निर्मित रंगों का प्रयोग होता है, परंतु आज कल कृत्रिम रंगों ने इनका स्थान ले लिया है. आजकल तो लोग जिस किसी के साथ भी शरारत या मजाक करना चाहते हैं, उसी पर रंगीले झाग व रंगों से भरे गुब्बारे मारते हैं. प्रेम से भरे यह नारंगी, लाल, हरे, नीले, बैंगनी तथा काले रंग सभी के मन से कटुता व वैमनस्य को धो देते हैं तथा सामुदायिक मेल-जोल को बढ़ाते हैं. इस दिन सभी के घर पकवान व मिष्टान बनते हैं. लोग एक-दूसरे के घर जाकर गले मिलते हैं और पकवान खाते हैं.
Friday, 25 February 2022
Holiरंगों का त्यौहार
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